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About the Journal

पियर-रिव्यूड अंतरविषयी ऑनलाइन शोधपत्रिका – 'शोध प्रसार' की विस्तृत रूपरेखा 

पंजाब केंद्रीय विश्वविद्यालय, बठिंडा शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार का एक स्वायत संस्थान है, जिसे संसद के अधिनियम 25 (2009) के द्वारा स्थापित किया गया है। इस विश्वविद्यालय द्वारा शुरू की गई यह प्रथम और एकमात्र पियर-रिव्यूड अंतरविषयी ऑनलाइन शोधपत्रिका है, जो विज्ञान, इंजीनियरी, मानविकी और सामाजिक विज्ञान  के विभिन्न विषयों में गुणवत्तापूर्ण शोधपत्र हिंदी भाषा में प्रकाशित करती है।  

  1. उद्देश्य एवं लक्षित समूह
    • उद्देश्य: इस अंतरविषयी शोधपत्रिका का मुख्य उद्देश्य होगा:
      1. विविध विषयों में नवीन ज्ञान के सृजन और अनुसंधान परिणामों को शोधार्थियों तक हिंदी भाषा में सुलभ उपलब्ध कराना;
      2. राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के लक्ष्यों की पूर्ती में सहायता करना;
      3. हिंदी को शोधपत्र प्रकाशन के माध्यम से अंतरराष्ट्रीय भाषा के रूप में सुदृढ़ करना
    • लक्षित समूह: प्रस्तावित शोधपत्रिका विविध विषयों में हिंदी भाषा में शोध करने वाले विद्यार्थी इस शोधपत्रिका के मुख्य लक्षित समूह होंगे। हालाँकि गुणवत्तापूर्ण शोधपत्र अंग्रेजी एवं अन्य भाषाओं के विद्यार्थियों के लिए भी बहुत लाभदायक सिद्ध होंगे।

हिंदी भाषा में गुणवत्तापूर्ण शोध प्रकाशन के लिए शोधपत्रिकाओं की संख्या लगभग नगण्य होने के कारण हिंदी भाषी शोधार्थियों के पास अंग्रेजी शोधपत्रिकाओं में प्रकाशन के अतिरिक्त कोई विकल्प नहीं बचता है। ऐसे में हिंदी भाषा में अंतरविषयी शोधपत्रिका का प्रकाशन हिंदी में गुणवत्तापूर्ण अनुसंधान को बढ़ावा देने में अत्यधिक लाभदायक सिद्ध होगा।

इस शोधपत्रिका के मुख्य पाठक हिंदी भाषी राज्यों के शोधार्थियों के साथ-साथ अन्य भाषा-भाषी शोधार्थी भी होंगे, जो गुणवत्तापूर्ण अनुसंधान के उद्धरण इसमें से प्राप्त करेंगे।

  1. शोधपत्रिका प्रकाशित करने की आवश्यकता: उल्लेखनीय है कि यूजीसी द्वारा तैयार शोधपत्रिकाओं की यूजीसी-केयर सूची में हिंदी में प्रकाशित कुल 103 शोधपत्रिकाएं हैं, जबकि उनमें से केवल तीन शोधपत्रिकाओं में विज्ञान के शोधपत्र प्रकाशित होते हैं।
  1. शोधपत्रिका का विवरण
    • शीर्षक: शोधपत्रिका का शीर्षक ‘शोध प्रसार’ है, जो अनुपम एवं अप्रतिम है।
    • विषय एवं उप-विषय: इस शोधपत्रिका में सभी विषयों एवं उपविषयों को सम्मिलित किया जाएगा।  
    • शोधपत्रिका का स्वरूप: वर्तमान डिजिटल युग तथा सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी में हो रही क्रान्ति को ध्यान में रखते हुए शोधपत्रिका की इलेक्ट्रॉनिक प्रति प्रकाशित की जाएगी, जो कि विश्वविद्यालय की वेबसाइट पर उपलब्ध रहेगी। शोधपत्रिका में भारत सरकार द्वारा प्रचारित यूनिकोड फॉण्ट में प्रकाशित की जाएगी ताकि ऑनलाइन किसी भी कंप्यूटर पर इसे पढ़ा या खोजा जा सके।
    • विधाएं: इस शोधपत्रिका में शोधपत्र के अतिरिक्त पुस्तक समीक्षा (केवल आमंत्रित किए जाने पर), समीक्षा पत्र, विशेष उपविषयी अंक, हिंदी में अभी तक अनूदित नहीं किए गए लेख के अनुवाद (पूर्व प्रकाशक से अनुमति सहित) आदि सम्मिलित किए जाएंगे।
    • लेखक एवं प्रचार-प्रसार: इस शोधपत्रिका के लेखकों में सामान्यतः शिक्षण एवं अनुसंधान संस्थानों के शोधार्थी, संकाय सदस्य एवं वैज्ञानिक आदि सम्मिलित होंगे। विश्वविद्यालय के शिक्षक, शोधार्थी एवं जनसंपर्क विभाग इस शोधपत्रिका के प्रचार-प्रसार का कार्य करेंगे।
    • आई.एस.एस.एन. एवं यूजीसी-केयर सूची में पंजीकरण: शोधपत्रिका को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्रदान करने के लिए आई.एस.एस.एन. डाटाबेस के साथ-साथ इसकी गुणवत्ता के आधार पर यूजीसी-केयर सूची में इसका पंजीकरण करवाया जाएगा।
    • अंकों की संख्या: आरंभ में इस शोधपत्रिका के एक वर्ष में केवल दो अंक प्रकाशित किए जाएंगे, जिनकी आवर्ती छमाही होगी। हालाँकि इसकी आवर्ती को भविष्य में इसके संपादक एवं प्रशासन मंडल के सुझाव के अनुसार घटाया बढ़ाया जा सकेगा।
    • प्रथम अंक का प्रकाशन: चूंकि इस शोधपत्रिका को अंतरराष्ट्रीय स्तर एवं गुणवत्तापूर्ण बनाने के विचार से आरंभ किया जा रहा है, इसलिए इसके प्रथम अंक में प्रकाशित होने वाली प्रत्येक सामग्री को अत्यधिक कठोर समीक्षा अर्थात पियर-रिव्यू के बाद ही प्रकाशन के लिए सम्मिलित किया जाएगा। अतः इसके प्रथम अंक को अगस्त 2023 में प्रकाशित करने का प्रस्ताव है। हालाँकि इसके प्रकाशन के समय में सक्षम प्राधिकारी एवं समिति के अनुसार परिवर्तन किया जा सकता है।
  1. संपादक मंडल एवं प्रशासन: शोधपत्रिका को गुणवत्तापूर्ण शोध सृजन एवं प्रसार हेतु अपेक्षित संपादक मंडल एवं प्रशासन मंडल की रूपरेखा इस प्रकार होगी:
    • संपादक मंडल (Editorial Board): किसी भी शोधपत्रिका की गुणवत्ता उच्च कोटि की तभी हो सकती है, जब उसमें प्रकाशित होने वाले प्रत्येक लेख/शोधपत्र में प्रदत्त अनुसंधान परिणाम की उच्च स्तर के विद्वानों द्वारा पूर्ण निष्ठा के साथ जांच एवं समीक्षा की जाए। अतः विश्वविद्यालय के विभिन्न विद्यापीठों से विभिन्न शिक्षक/शिक्षकों को, जो वरियतः हिंदी का कार्यसाधक ज्ञान रखते हैं और जिनका शोधपत्रिका संपादन एवं समीक्षा का पर्याप्त अनुभव है, संपादक मंडल में सम्मिलित किया गया है। इसके लिए विश्वविद्यालय के प्रत्येक स्कूल से एक-एक नाम कुलपति महोदय द्वारा अनुमोदित किया गया है। प्रधान संपादक के मार्गदर्शन के अधीन संपादक मंडल में सम्मिलित शिक्षक सम्बंधित विषयों के समीक्षकों से संपर्क करते हुए समीक्षा का कार्य कम-से-कम तीन समीक्षकों (प्रति शोधपत्र) से एक माह के भीतर संपन्न करवाएँगे।

      संपादक मंडल इस प्रकार हैं:

      1. प्रधान सम्पादक (Chief Editor): प्रो. अंजना मुंशी, डीन, अनुसन्धान एवं विकास प्रकोष्ट
      2. संपादक मंडल सदस्य (प्रत्येक स्कूल में से एक-एक):
        • मूलभूत एवं अनुप्रयुक्त विज्ञान
        • शिक्षाशास्त्र
        • इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी
        • पर्यावरण विज्ञान एवं पृथ्वी विज्ञान
        • अंतर्राष्ट्रीय अध्ययन
        • स्वास्थ्य विज्ञान
        • भाषाएँ, साहित्य एवं संस्कृति
        • विधिक अध्ययन एवं शासन
        • समाज विज्ञान
        • प्रबंधन
        • सूचना एवं संचार अध्ययन
    • प्रशासन मंडल: माननीय कुलपति महोदय के संरक्षण में शोधपत्रिका के प्रकाशन कार्य हेतु प्रधान संपादक के मार्गदर्शन में युवा संकाय सदस्यों/अधिकारियों/कर्मचारियों का एक प्रशासन मंडल होगा, जो इसके प्रशासन एवं प्रकाशन का कार्य देखेगा। शोधपत्रिका से संबंधित सभी कार्यों हेतु यह प्रशासन मंडल प्रधान संपादक को रिपोर्ट करेगा। इस प्रशासन मंडल का कार्य प्रकाशन हेतु संस्तुत शोधपत्र को पत्रिका में प्रकाशन से पूर्व कॉपी एडिटिंग, हिंदी-भाषा एडिटिंग, फोर्मेटिंग, और कवर/बैक पृष्ठ डिजाईन सहित सम्पूर्ण पत्रिका का एक मसौदा तैयार करते हुए प्रधान सम्पादक के माध्यम से सक्षम प्राधिकारी के अनुमोदन हेतु भेजा जाएगा।